DBLIVE | 15 September 2016 | Today's History

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  • DBLIVE | 13 September 2016 | Today's History

    DBLIVE | 13 September 2016 | Today's History

    1946 में मेजर रामास्वामी परमेस्वरन का जन्म हुआ था। मेजर रामास्वामी 'ऑपरेशन पवन' में अहम योगदान के लिए मशहूर हैं। 1987 से 1990 के बीच भारत के सहयोग से श्रीलंका में 'ऑपरेशन पवन' चलाया गया था, जिसमें भारतीय सेना के मेजर रामास्वामी परमेस्वरन शांति विरोधी तत्वों के हाथों शहीद हो गए थे। ऑपरेशन पवन के तहत वीरता से दुश्मनों से लोहा लेने वाले मेजर रामास्वामी को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। दरअसल, 1987 में भारत और श्रीलंका के बीच एक अनुबंध हुआ था, जिसमें श्रीलंका के कई तमिल प्रतिनिधि भी साथ लिए गए। इस अनुबंध के मुताबिक भारत की इण्डियन पीस कीपिंग फोर्स का श्रीलंका जाना तय किया गया, जहां वह तमिल उग्रवादियों का सामना करते हुए शांति बनाने का काम करें ताकि श्रीलंका से भारत की ओर शरणार्थियों का आना रुक जाए। भारतीय शांति सेना ने सभी उग्रवादियों से हथियार डालने का दबाव बनाया, जिसमें वह काफ़ी हद तक सफल भी हुई, लेकिन तमिल उग्रवादी संगठन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम इस काम में कुटिलता बरत गया। उसने पूरी तरह से हथियार न डालकर अपनी नीति बदल ली। लिट्टे ने गोरिल्ला युद्ध अपना लिया था।

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  • DBLIVE | 16 September 2016 | Today's History

    DBLIVE | 16 September 2016 | Today's History

    1916 में मशहूर गायिका एमएस सुब्बुलक्ष्मी का जन्म हुआ था। सुब्बुलक्ष्मी बचपन में ही कर्नाटक संगीत से जुड़ी थीं। इनकी पहली एलबम महज़ दस वर्ष की उम्र में रिलीज़ हुई थी। सुब्बुलक्ष्मी ने मशहूर संगीताचार्य सेम्मनगुडी श्रीनिवास अय्यर और पंडित नारायण राव से संगीत की शिक्षा ली। इन्होंने सार्वजनिक तौर पर पहली बार अपने गायन का प्रदर्शन एक समारोह में किया था। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए मद्रास संगीत अकादमी गईं, जहां मात्र 17 वर्ष की उम्र में इनका नाम चेन्नई संगीत अकादमी में एक श्रेष्ठ गायिका के रूप जुड़ गया। इन्होंने कन्नड़ के अलावा तमिल, मलयालम, तेलुगू, हिंदी, संस्कृत, बंगाली और गुजराती में भी गीत गाए हैं। 1945 में सुब्बुलक्ष्मी ने फ़िल्म भक्त मीरा में अभिनय भी किया। देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सुब्बुलक्ष्मी को संगीत की रानी बताया, तो वहीं इनके बारे में गांधीजी का कहना था, वह किसी और का गायन सुनने की बजाय सुब्बुलक्ष्मी की आवाज़ सुनना पसंद करेंगे। सुब्बुलक्ष्मी के गाए हुए गाने, ख़ासकर भजन आज भी लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं। इनका गाया हुआ भजन वैष्णव जन तो तेणे कहिए, पीर पराई जाने रे’ आज भी बेहद लोकप्रिय है। 1954 में सुब्बुलक्ष्मी को पद्म भूषण, 1956 में संगीत नाटक अकादमी सम्मान, 1974 में रैमन मैग्सेसे सम्मान,1975 में पद्म विभूषण, 1998 में भारत रत्न सम्मान समेत कई पुरस्कारों से नवाजा गया।

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  • DBLIVE | 17 September 2016 | Today's History

    DBLIVE | 17 September 2016 | Today's History

    1915 में मशहूर चित्रकार मक़बूल फ़िदा हुसैन का जन्म हुआ था। 1947 में यह प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप में शामिल हुए। युवा पेंटर के रूप में हुसैन बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट्स की राष्ट्रवादी परंपरा को तोड़कर कुछ नया करना चाहते थे। 1952 में ज्युरिख में उनकी पहली एकल प्रदर्शनी लगी। इनकी फ़िल्म थ्रू द आइज़ ऑफ़ अ पेंटर को 1966 में फ्रांस के फ़िल्म समारोह में सम्मानित किया जा चुका है। इन्होंने रामायण, गीता, महाभारत आदि ग्रंथों में लिखित सूक्ष्म पहलुओं को अपने चित्रों के माध्यम से जीवंत बनाया। 1998 में इन्होंने हैदराबाद में सिनेमाघर नामक संग्रहालय की स्थापना की। क्रिस्टीज़ ऑक्शन में उनकी एक पेंटिंग 20 लाख अमेरिकी डॉलर में बिकी। इसके साथ ही हुसैन भारत के सबसे महंगे चित्रकार बन गए। मक़बूल फ़िदा हुसैन का शोहरत के साथ साथ विवादों से भी अच्छा खासा रिश्ता रहा। 1996 में हिंदू देवी-देवताओं की इनकी चित्रकारी को लेकर काफ़ी विवाद हुआ, कई कट्टरपंथी संगठनों ने तोड़फोड़ कर अपनी नाराजगी ज़ाहिर की। जब किसी ने हुसैन से पूछा कि आपकी चित्रकारी को लेकर हमेशा विवाद होता रहा है? तो उनका जवाब था, यह मॉर्डन आर्ट है। इसे सबको समझने में देर लगती है। फिर लोकतंत्र है। सबको हक़ है। फ़ोर्ब्स पत्रिका ने मक़बूल फ़िदा हुसैन को भारत का पिकासो घोषित किया था।

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  • DBLIVE | 19 September 2016 | Today's History | 19 सितंबर का इतिहास

    DBLIVE | 19 September 2016 | Today's History | 19 सितंबर का इतिहास

    1952 में मशहूर हॉलीवुड अभिनेता चार्ली चैपलिन को अमेरिका वापस आने से रोक दिया गया था। चार्ली चैपलिन जब ब्रिटेन पहुंचे, तो उन्हें सूचित किया गया कि अमेरिका ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इस पर चार्ली ने कहा था, अगर प्रभु यीशु भी अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाएं, तब भी मैं अमेरिका वापस नहीं जाऊंगा। लंदन में अपनी फ़िल्म लाइमलाइट के बेहद कामयाब प्रीमियर के बाद चैपलिन स्विट्ज़रलैंड के वेवे में बस गए थे। चैपलिन लगातार फ़िल्में बनाते रहे, लेकिन अमेरिका में लोग उनके इतने ख़िलाफ़ हो गए कि उनकी पहली यूरोपियन फ़िल्म 'अ किंग इन न्यूयॉर्क' अमेरिका में 16 वर्षों तक रिलीज़ नहीं हो पाई। हालांकि चैपलिन 1972 में वापस अमेरिका पहुंचे, जहां उन्हें विशेष अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। तीन वर्ष बाद उन्हें ब्रिटेन की रानी ने नाइटहुड के सम्मान से भी नवाज़ा।

    1965 में मशहूर अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स का जन्म हुआ था। सुनीता अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की ओर से अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। सुनीता ने अभी तक कुल 30 अलग-अलग अंतरिक्ष यानों में 2,770 उड़ानें भरी हैं। इन्होंने एक महिला अंतरिक्ष यात्री के रुप में 194 दिन, 18 घंटे अंतरिक्ष में रहकर नया विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। इसके साथ ही सुनीता विलियम्स ने नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परीक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक, गोताखोर, तैराक, मैराथन धाविका के क्षेत्र में भी अच्छी पहचान बनाई है। 2008 में सुनीता विलियम्स को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में पद्म भूषण सम्मान से नवाज़ा गया।

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  • DBLIVE | 20 September 2016 | Today's History | 20 सितंबर का इतिहास

    DBLIVE | 20 September 2016 | Today's History | 20 सितंबर का इतिहास

    1810 में मशहूर शायर मीर तक़ी मीर का निधन हुआ था। उनका जन्म 1722 में आगरा में हुआ था। मीर तक़ी मीर ने मुग़ल शासन के अंतिम काल में शायरी आरंभ की। मीर को उर्दू शायरी विशेषकर गज़ल का स्तंभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उर्दू ग़ज़ल का हर शेर मीर तक़ी मीर का है, चाहे वो किसी ने भी कहा हो। मीर तक़ी मीर का पूरा नाम मुहम्मद तक़ी था और उनको ख़ुदाए सुख़न की उपाधि दी गई थी। मीर की गज़लों के कुल छह दीवान हैं। इनमें से कई शेर ऐसे भी हैं, जो मीर के हैं या नहीं इस पर विवाद है। इसके अलावा कई शेर या कसीदे ऐसे हैं, जो किसी और के संकलन में हैं, लेकिन बहुत से लोगों का मानना है कि वे मीर के हैं। उनके शेरों की संख्या 15000 है। इसके अलावा कुल्लियात-ए-मीर में दर्जनों मसनवियां, क़सीदे और मर्सिये संकलित हैं।

    1933 में अग्रणी थियोसोफिस्ट, महिला अधिकारों की समर्थक, लेखक, वक्ता और भारत-प्रेमी महिला डॉक्टर एनी बेसेन्ट का निधन हुआ। एनी ने भारत में होमरुल लीग की स्थापना की थी। सन 1917 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा बनीं। उनके पिता अंग्रेज थे और पेशे से डॉक्टर। डॉ. बेसेन्ट पर उनके माता-पिता के धार्मिक विचारों का गहरा प्रभाव था। डॉ॰ बेसेन्ट के जीवन का मूलमंत्र था 'कर्म'। वह जिस सिद्धान्त पर विश्वास करतीं, उसे अपने जीवन में उतार कर उपदेश देतीं। बेसेंट भारत को अपनी मातृभूमि समझती थीं। वे जन्म से आयरिश, विवाह से अंग्रेज और भारत को अपना लेने के कारण भारतीय थीं। तिलक, जिन्ना और महात्मा गांधी तक ने उनके व्यक्तित्व की प्रशंसा की। बेसेंट भारत की स्वतंत्रता के नाम पर अपना बलिदान करने को सदैव तत्पर रहती थीं।

    দ্বাৰা DB Live| 133 মতামত

  • DBLIVE | 21 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    DBLIVE | 21 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    926 में मशहूर अभिनेत्री और पार्श्व गायिका नूरजहां का जन्म हुआ था। मल्लिका-ए-तरन्नुम नूरजहां को लोकप्रिय संगीत में क्रांति लाने और पंजाबी लोकगीतों को नया आयाम देने का श्रेय जाता है। नूरजहां अपनी आवाज़ में आय दिन नए प्रयोग करती थीं। अपनी इन खूबियों की वजह से ही यह ठुमरी गायकी की महारानी कहलाने लगी थीं। नूरजहां की गायकी से प्रभावित होकर संगीतकार ग़ुलाम हैदर ने इन्हें केडी मेहरा की पहली पंजाबी फ़िल्म शीला उर्फ पिंड दी कुड़ी में बाल कलाकार की छोटी सी भूमिका दिलाई। 1935 में रिलीज़ हुई यह फ़िल्म पूरे पंजाब में हिट रही। लाल हवेली, जीनत, बड़ी मां, गांव की गोरी, यमला जट, दुपट्टा, मिर्जा साहिबा इनकी बेहतरीन फिल्में हैं।


    1938 में अमेरिका के न्यू इंग्लैंड में भयानक तूफान आया था। इस तूफान को द ग्रेट हरिकेन नाम दिया गया। इस तूफान की शुरुआत अफ्रीका के तट से हुई थी। इसकी तीव्रता लगातार बढ़ती गई और 21 सितंबर को तूफान अमेरिका के पूर्वी तट पर लॉन्ग आइलैंड पर पहुंचा। तूफान की वजह से 800 लोगों की मौत हो गई और लगभग 60,000 घर तबाह हो गए। न्यू इंग्लैंड में इससे पहले और इसके बाद अब तक इतना घातक तूफान नहीं आया है। कहा जाता है कि 1635 में द ग्रेट कोलोनियल हरिकेन काफी खतरनाक तूफान था और 2012 में हरिकेन सैंडी तूफान ने भी आर्थिक लिहाज़ से बहुत नुकसान किया था, लेकिन इन दोनों के मुकाबले द ग्रेट हरिकेन तूफान सबसे महंगा पड़ने वाला तूफान माना जाता है।

    দ্বাৰা DB Live| 230 মতামত

  • DBLIVE | 22 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    DBLIVE | 22 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    1791 में भौतिक विज्ञानी और रसासनशास्‍त्री माइकल फैराडे का जन्म हुआ था। 1831 में माइकल फैराडे ने विद्युत-धारा के चुंबकीय प्रभाव का आविष्कार किया था। फैराडे ने चुंबकीय क्षेत्र में एक चालक को घुमाकर विद्युत वाहक बल उत्पन्न किया। इस सिद्धांत पर भविष्य में जनरेटर और आधुनिक विद्युत इंजीनियरी की नींव पड़ी। इन्होंने विद्युतविश्लेषण पर महत्वपूर्ण कार्य किए और इसके नियमों की स्थापना की। इन नियमों को फैराडे के नियम कहा जाता है। विद्युतविश्लेषण में जिन तकनीकी शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, उनका नामकरण भी फैराडे ने ही किया था। क्लोरीन गैस का द्रवीकरण करने में भी फैराडे सफल रहे। परावैद्युतांक, प्राणिविद्युत, चुंबकीय क्षेत्र में रेखा ध्रुवित प्रकाश का घुमाव, आदि विषयों में भी फैराडे का अहम योगदान रहा है।

    1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच संयुक्त राष्ट्र की पहल पर युद्ध विराम हुआ था। भारत-पाक के बीच चल रहे इस युद्ध को दूसरा कश्मीर युद्ध भी कहा जाता है। 1947 में भारत के आज़ाद होने के बाद से ही कश्मीर के लिए दोनों देशों के बीच जंग की शुरुआत हुई थी। इस युद्ध में कोई साफ़ विजेता तो नहीं था, लेकिन पाकिस्तान ने जीत हासिल करने का दावा किया था। जबकि सच्चाई यह थी कि भारत की हालत इस युद्ध में पाकिस्तान से बेहतर थी। भारतीय सेनाएं सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हाजी पीर के दर्रे के ऊपर काबिज़ हो गई थीं।

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  • DBLIVE | 1 September 2016 | Today's History

    DBLIVE | 1 September 2016 | Today's History

    1927 में मशहूर साहित्यकार डॉ. राही मासूम रज़ा का जन्म हुआ था। रज़ा ने 1946 में लेखन की शुरुआत की। 1950 में इनका पहला उपन्यास 'मुहब्बत के सिवा' उर्दू में प्रकाशित हुआ। रज़ा अपने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रीय दृष्टिकोण की वजह से लोकप्रिय रहे। ‘टोपी शुक्ला', 'ओस की बूंद', 'हिम्मत जौनपुरी' आदि इनकी प्रमुख रचनाएं हैं। मुंबई में रहकर रज़ा ने 300 फ़िल्मों की पटकथा और संवाद लिखे और दूरदर्शन के लिए 100 से अधिक धारावाहिक लिखे, जिनमें 'महाभारत' और 'नीम का पेड़' बेहद लोकप्रिय रहा। इन्हें ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ फ़िल्म के लिए फ़िल्म फ़ेयर का सर्वश्रेष्ठ संवाद पुरस्कार भी मिला।

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  • DBLIVE | 23 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    DBLIVE | 23 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    1908 में मशहूर कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' का जन्म हुआ था। 1934 में बिहार सरकार के अधीन दिनकर ने सब-रजिस्ट्रार के पद पर काम करना शुरू किया। लगभग नौ वर्षों तक वह इस पद पर बने रहे। 1947 में यह बिहार विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष नियुक्त किए गए। 1952 में जब भारत की पहली संसद का निर्माण हुआ, तो इन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया और वह दिल्ली आ गए। भारत सरकार ने दिनकर को 1965 से 1971 तक अपना हिन्दी सलाहकार नियुक्त किया। इसी दौरान इन्होंने ज्वारा उमरा, रेणुका, हुंकार और रसवंती आदि रचनाएं कीं। रश्मिरथी, उर्वशी, कुरुक्षेत्र, संस्कृति के चार अध्याय, परशुराम की प्रतीक्षा, हाहाकार, चक्रव्यूह, आत्मजयी, वाजश्रवा के बहाने आदि इनकी नायाब रचनाएं हैं। दिनकर को अपनी बेहतरीन रचनाओं के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण समेत कई अन्य सम्मानों से नवाज़ा गया।

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প্ৰকাশিত হৈছে: Mar 26, 2019
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1935 में जर्मनी में न्यूरेम्बर्ग कानून बनाया गया। इस कानून के तहत जर्मन यहूदियों को जर्मन नागरिकता से वंचित कर दिया गया। उल्टे स्वस्तिक को नाज़ी जर्मनी का आधिकारिक प्रतीक घोषित कर दिया गया। जर्मनी की नाज़ी तानाशाही में यह महत्वपूर्ण पड़ाव था, जिसका अंत बड़े पैमाने पर यहूदी नरसंहार और द्वितीय विश्व युद्ध के रूप में सामने आया। इस युद्ध में 60 लाख से ज़्यादा लोग मारे गए थे। 1933 में हिटलर के सत्ता में आने के बाद नाज़ीवाद जर्मनी की सरकारी विचारधारा बन गया और यहूदियों को बुरे हालातों का सामना करना पड़ा।


1940 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटेन की वायुसेना ने जर्मन वायुसेना को शिकस्त दी थी। इस हमले के दौरान ब्रितानी वायुसेना ने दावा किया कि उसने जर्मन वायुसेना के 176 जहाज़ मार गिराए हैं। साथ ही ब्रितानी वायुसेना ने यह भी कहा कि हमारे केवल 25 जंगी जहाज़ और 13 पायलट इस लड़ाई में गए थे। बाद के दिनों में यह साफ़ हुआ कि इस लड़ाई के दौरान जर्मनी और ब्रिटेन दोनों ने ही बढ़ा-चढ़ा कर अपने दावे पेश किए हैं। 15 सितंबर को ब्रिटेन ने जर्मनी के 60 लड़ाकू जहाज़ गिराए थे। ब्रिटेन के हाथों हुए नुकसान की वजह से जर्मनी ने ब्रिटेन में अपनी ज़मीनी सेनाओं को भेजने का इरादा छोड़ दिया था। कई दिनों तक चले इस युद्ध में ब्रिटेन ने जर्मनी के 2,698 हवाई जहाज़ों को मार गिराने के दावा किया लेकिन यह संख्या 1,294 थी। वहीं जर्मनी ने 3,058 ब्रितानी जहाज़ गिराने का दावा किया था, जिनकी संख्या केवल 788 ही थी।

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  • DBLIVE | 13 September 2016 | Today's Historyপৰৱৰ্তী

    DBLIVE | 13 September 2016 | Today's History

    1946 में मेजर रामास्वामी परमेस्वरन का जन्म हुआ था। मेजर रामास्वामी 'ऑपरेशन पवन' में अहम योगदान के लिए मशहूर हैं। 1987 से 1990 के बीच भारत के सहयोग से श्रीलंका में 'ऑपरेशन पवन' चलाया गया था, जिसमें भारतीय सेना के मेजर रामास्वामी परमेस्वरन शांति विरोधी तत्वों के हाथों शहीद हो गए थे। ऑपरेशन पवन के तहत वीरता से दुश्मनों से लोहा लेने वाले मेजर रामास्वामी को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। दरअसल, 1987 में भारत और श्रीलंका के बीच एक अनुबंध हुआ था, जिसमें श्रीलंका के कई तमिल प्रतिनिधि भी साथ लिए गए। इस अनुबंध के मुताबिक भारत की इण्डियन पीस कीपिंग फोर्स का श्रीलंका जाना तय किया गया, जहां वह तमिल उग्रवादियों का सामना करते हुए शांति बनाने का काम करें ताकि श्रीलंका से भारत की ओर शरणार्थियों का आना रुक जाए। भारतीय शांति सेना ने सभी उग्रवादियों से हथियार डालने का दबाव बनाया, जिसमें वह काफ़ी हद तक सफल भी हुई, लेकिन तमिल उग्रवादी संगठन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम इस काम में कुटिलता बरत गया। उसने पूरी तरह से हथियार न डालकर अपनी नीति बदल ली। लिट्टे ने गोरिल्ला युद्ध अपना लिया था।

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  • DBLIVE | 16 September 2016 | Today's History

    DBLIVE | 16 September 2016 | Today's History

    1916 में मशहूर गायिका एमएस सुब्बुलक्ष्मी का जन्म हुआ था। सुब्बुलक्ष्मी बचपन में ही कर्नाटक संगीत से जुड़ी थीं। इनकी पहली एलबम महज़ दस वर्ष की उम्र में रिलीज़ हुई थी। सुब्बुलक्ष्मी ने मशहूर संगीताचार्य सेम्मनगुडी श्रीनिवास अय्यर और पंडित नारायण राव से संगीत की शिक्षा ली। इन्होंने सार्वजनिक तौर पर पहली बार अपने गायन का प्रदर्शन एक समारोह में किया था। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए मद्रास संगीत अकादमी गईं, जहां मात्र 17 वर्ष की उम्र में इनका नाम चेन्नई संगीत अकादमी में एक श्रेष्ठ गायिका के रूप जुड़ गया। इन्होंने कन्नड़ के अलावा तमिल, मलयालम, तेलुगू, हिंदी, संस्कृत, बंगाली और गुजराती में भी गीत गाए हैं। 1945 में सुब्बुलक्ष्मी ने फ़िल्म भक्त मीरा में अभिनय भी किया। देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सुब्बुलक्ष्मी को संगीत की रानी बताया, तो वहीं इनके बारे में गांधीजी का कहना था, वह किसी और का गायन सुनने की बजाय सुब्बुलक्ष्मी की आवाज़ सुनना पसंद करेंगे। सुब्बुलक्ष्मी के गाए हुए गाने, ख़ासकर भजन आज भी लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं। इनका गाया हुआ भजन वैष्णव जन तो तेणे कहिए, पीर पराई जाने रे’ आज भी बेहद लोकप्रिय है। 1954 में सुब्बुलक्ष्मी को पद्म भूषण, 1956 में संगीत नाटक अकादमी सम्मान, 1974 में रैमन मैग्सेसे सम्मान,1975 में पद्म विभूषण, 1998 में भारत रत्न सम्मान समेत कई पुरस्कारों से नवाजा गया।

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  • DBLIVE | 17 September 2016 | Today's History

    DBLIVE | 17 September 2016 | Today's History

    1915 में मशहूर चित्रकार मक़बूल फ़िदा हुसैन का जन्म हुआ था। 1947 में यह प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप में शामिल हुए। युवा पेंटर के रूप में हुसैन बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट्स की राष्ट्रवादी परंपरा को तोड़कर कुछ नया करना चाहते थे। 1952 में ज्युरिख में उनकी पहली एकल प्रदर्शनी लगी। इनकी फ़िल्म थ्रू द आइज़ ऑफ़ अ पेंटर को 1966 में फ्रांस के फ़िल्म समारोह में सम्मानित किया जा चुका है। इन्होंने रामायण, गीता, महाभारत आदि ग्रंथों में लिखित सूक्ष्म पहलुओं को अपने चित्रों के माध्यम से जीवंत बनाया। 1998 में इन्होंने हैदराबाद में सिनेमाघर नामक संग्रहालय की स्थापना की। क्रिस्टीज़ ऑक्शन में उनकी एक पेंटिंग 20 लाख अमेरिकी डॉलर में बिकी। इसके साथ ही हुसैन भारत के सबसे महंगे चित्रकार बन गए। मक़बूल फ़िदा हुसैन का शोहरत के साथ साथ विवादों से भी अच्छा खासा रिश्ता रहा। 1996 में हिंदू देवी-देवताओं की इनकी चित्रकारी को लेकर काफ़ी विवाद हुआ, कई कट्टरपंथी संगठनों ने तोड़फोड़ कर अपनी नाराजगी ज़ाहिर की। जब किसी ने हुसैन से पूछा कि आपकी चित्रकारी को लेकर हमेशा विवाद होता रहा है? तो उनका जवाब था, यह मॉर्डन आर्ट है। इसे सबको समझने में देर लगती है। फिर लोकतंत्र है। सबको हक़ है। फ़ोर्ब्स पत्रिका ने मक़बूल फ़िदा हुसैन को भारत का पिकासो घोषित किया था।

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  • DBLIVE | 19 September 2016 | Today's History | 19 सितंबर का इतिहास

    DBLIVE | 19 September 2016 | Today's History | 19 सितंबर का इतिहास

    1952 में मशहूर हॉलीवुड अभिनेता चार्ली चैपलिन को अमेरिका वापस आने से रोक दिया गया था। चार्ली चैपलिन जब ब्रिटेन पहुंचे, तो उन्हें सूचित किया गया कि अमेरिका ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इस पर चार्ली ने कहा था, अगर प्रभु यीशु भी अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाएं, तब भी मैं अमेरिका वापस नहीं जाऊंगा। लंदन में अपनी फ़िल्म लाइमलाइट के बेहद कामयाब प्रीमियर के बाद चैपलिन स्विट्ज़रलैंड के वेवे में बस गए थे। चैपलिन लगातार फ़िल्में बनाते रहे, लेकिन अमेरिका में लोग उनके इतने ख़िलाफ़ हो गए कि उनकी पहली यूरोपियन फ़िल्म 'अ किंग इन न्यूयॉर्क' अमेरिका में 16 वर्षों तक रिलीज़ नहीं हो पाई। हालांकि चैपलिन 1972 में वापस अमेरिका पहुंचे, जहां उन्हें विशेष अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। तीन वर्ष बाद उन्हें ब्रिटेन की रानी ने नाइटहुड के सम्मान से भी नवाज़ा।

    1965 में मशहूर अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स का जन्म हुआ था। सुनीता अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की ओर से अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। सुनीता ने अभी तक कुल 30 अलग-अलग अंतरिक्ष यानों में 2,770 उड़ानें भरी हैं। इन्होंने एक महिला अंतरिक्ष यात्री के रुप में 194 दिन, 18 घंटे अंतरिक्ष में रहकर नया विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। इसके साथ ही सुनीता विलियम्स ने नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परीक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक, गोताखोर, तैराक, मैराथन धाविका के क्षेत्र में भी अच्छी पहचान बनाई है। 2008 में सुनीता विलियम्स को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में पद्म भूषण सम्मान से नवाज़ा गया।

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  • DBLIVE | 20 September 2016 | Today's History | 20 सितंबर का इतिहास

    DBLIVE | 20 September 2016 | Today's History | 20 सितंबर का इतिहास

    1810 में मशहूर शायर मीर तक़ी मीर का निधन हुआ था। उनका जन्म 1722 में आगरा में हुआ था। मीर तक़ी मीर ने मुग़ल शासन के अंतिम काल में शायरी आरंभ की। मीर को उर्दू शायरी विशेषकर गज़ल का स्तंभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उर्दू ग़ज़ल का हर शेर मीर तक़ी मीर का है, चाहे वो किसी ने भी कहा हो। मीर तक़ी मीर का पूरा नाम मुहम्मद तक़ी था और उनको ख़ुदाए सुख़न की उपाधि दी गई थी। मीर की गज़लों के कुल छह दीवान हैं। इनमें से कई शेर ऐसे भी हैं, जो मीर के हैं या नहीं इस पर विवाद है। इसके अलावा कई शेर या कसीदे ऐसे हैं, जो किसी और के संकलन में हैं, लेकिन बहुत से लोगों का मानना है कि वे मीर के हैं। उनके शेरों की संख्या 15000 है। इसके अलावा कुल्लियात-ए-मीर में दर्जनों मसनवियां, क़सीदे और मर्सिये संकलित हैं।

    1933 में अग्रणी थियोसोफिस्ट, महिला अधिकारों की समर्थक, लेखक, वक्ता और भारत-प्रेमी महिला डॉक्टर एनी बेसेन्ट का निधन हुआ। एनी ने भारत में होमरुल लीग की स्थापना की थी। सन 1917 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा बनीं। उनके पिता अंग्रेज थे और पेशे से डॉक्टर। डॉ. बेसेन्ट पर उनके माता-पिता के धार्मिक विचारों का गहरा प्रभाव था। डॉ॰ बेसेन्ट के जीवन का मूलमंत्र था 'कर्म'। वह जिस सिद्धान्त पर विश्वास करतीं, उसे अपने जीवन में उतार कर उपदेश देतीं। बेसेंट भारत को अपनी मातृभूमि समझती थीं। वे जन्म से आयरिश, विवाह से अंग्रेज और भारत को अपना लेने के कारण भारतीय थीं। तिलक, जिन्ना और महात्मा गांधी तक ने उनके व्यक्तित्व की प्रशंसा की। बेसेंट भारत की स्वतंत्रता के नाम पर अपना बलिदान करने को सदैव तत्पर रहती थीं।

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  • DBLIVE | 21 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    DBLIVE | 21 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    926 में मशहूर अभिनेत्री और पार्श्व गायिका नूरजहां का जन्म हुआ था। मल्लिका-ए-तरन्नुम नूरजहां को लोकप्रिय संगीत में क्रांति लाने और पंजाबी लोकगीतों को नया आयाम देने का श्रेय जाता है। नूरजहां अपनी आवाज़ में आय दिन नए प्रयोग करती थीं। अपनी इन खूबियों की वजह से ही यह ठुमरी गायकी की महारानी कहलाने लगी थीं। नूरजहां की गायकी से प्रभावित होकर संगीतकार ग़ुलाम हैदर ने इन्हें केडी मेहरा की पहली पंजाबी फ़िल्म शीला उर्फ पिंड दी कुड़ी में बाल कलाकार की छोटी सी भूमिका दिलाई। 1935 में रिलीज़ हुई यह फ़िल्म पूरे पंजाब में हिट रही। लाल हवेली, जीनत, बड़ी मां, गांव की गोरी, यमला जट, दुपट्टा, मिर्जा साहिबा इनकी बेहतरीन फिल्में हैं।


    1938 में अमेरिका के न्यू इंग्लैंड में भयानक तूफान आया था। इस तूफान को द ग्रेट हरिकेन नाम दिया गया। इस तूफान की शुरुआत अफ्रीका के तट से हुई थी। इसकी तीव्रता लगातार बढ़ती गई और 21 सितंबर को तूफान अमेरिका के पूर्वी तट पर लॉन्ग आइलैंड पर पहुंचा। तूफान की वजह से 800 लोगों की मौत हो गई और लगभग 60,000 घर तबाह हो गए। न्यू इंग्लैंड में इससे पहले और इसके बाद अब तक इतना घातक तूफान नहीं आया है। कहा जाता है कि 1635 में द ग्रेट कोलोनियल हरिकेन काफी खतरनाक तूफान था और 2012 में हरिकेन सैंडी तूफान ने भी आर्थिक लिहाज़ से बहुत नुकसान किया था, लेकिन इन दोनों के मुकाबले द ग्रेट हरिकेन तूफान सबसे महंगा पड़ने वाला तूफान माना जाता है।

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  • DBLIVE | 22 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    DBLIVE | 22 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    1791 में भौतिक विज्ञानी और रसासनशास्‍त्री माइकल फैराडे का जन्म हुआ था। 1831 में माइकल फैराडे ने विद्युत-धारा के चुंबकीय प्रभाव का आविष्कार किया था। फैराडे ने चुंबकीय क्षेत्र में एक चालक को घुमाकर विद्युत वाहक बल उत्पन्न किया। इस सिद्धांत पर भविष्य में जनरेटर और आधुनिक विद्युत इंजीनियरी की नींव पड़ी। इन्होंने विद्युतविश्लेषण पर महत्वपूर्ण कार्य किए और इसके नियमों की स्थापना की। इन नियमों को फैराडे के नियम कहा जाता है। विद्युतविश्लेषण में जिन तकनीकी शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, उनका नामकरण भी फैराडे ने ही किया था। क्लोरीन गैस का द्रवीकरण करने में भी फैराडे सफल रहे। परावैद्युतांक, प्राणिविद्युत, चुंबकीय क्षेत्र में रेखा ध्रुवित प्रकाश का घुमाव, आदि विषयों में भी फैराडे का अहम योगदान रहा है।

    1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच संयुक्त राष्ट्र की पहल पर युद्ध विराम हुआ था। भारत-पाक के बीच चल रहे इस युद्ध को दूसरा कश्मीर युद्ध भी कहा जाता है। 1947 में भारत के आज़ाद होने के बाद से ही कश्मीर के लिए दोनों देशों के बीच जंग की शुरुआत हुई थी। इस युद्ध में कोई साफ़ विजेता तो नहीं था, लेकिन पाकिस्तान ने जीत हासिल करने का दावा किया था। जबकि सच्चाई यह थी कि भारत की हालत इस युद्ध में पाकिस्तान से बेहतर थी। भारतीय सेनाएं सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हाजी पीर के दर्रे के ऊपर काबिज़ हो गई थीं।

    দ্বাৰা DB Live| 173 মতামত

  • DBLIVE | 1 September 2016 | Today's History

    DBLIVE | 1 September 2016 | Today's History

    1927 में मशहूर साहित्यकार डॉ. राही मासूम रज़ा का जन्म हुआ था। रज़ा ने 1946 में लेखन की शुरुआत की। 1950 में इनका पहला उपन्यास 'मुहब्बत के सिवा' उर्दू में प्रकाशित हुआ। रज़ा अपने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रीय दृष्टिकोण की वजह से लोकप्रिय रहे। ‘टोपी शुक्ला', 'ओस की बूंद', 'हिम्मत जौनपुरी' आदि इनकी प्रमुख रचनाएं हैं। मुंबई में रहकर रज़ा ने 300 फ़िल्मों की पटकथा और संवाद लिखे और दूरदर्शन के लिए 100 से अधिक धारावाहिक लिखे, जिनमें 'महाभारत' और 'नीम का पेड़' बेहद लोकप्रिय रहा। इन्हें ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ फ़िल्म के लिए फ़िल्म फ़ेयर का सर्वश्रेष्ठ संवाद पुरस्कार भी मिला।

    দ্বাৰা DB Live| 421 মতামত

  • DBLIVE | 23 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    DBLIVE | 23 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    1908 में मशहूर कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' का जन्म हुआ था। 1934 में बिहार सरकार के अधीन दिनकर ने सब-रजिस्ट्रार के पद पर काम करना शुरू किया। लगभग नौ वर्षों तक वह इस पद पर बने रहे। 1947 में यह बिहार विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष नियुक्त किए गए। 1952 में जब भारत की पहली संसद का निर्माण हुआ, तो इन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया और वह दिल्ली आ गए। भारत सरकार ने दिनकर को 1965 से 1971 तक अपना हिन्दी सलाहकार नियुक्त किया। इसी दौरान इन्होंने ज्वारा उमरा, रेणुका, हुंकार और रसवंती आदि रचनाएं कीं। रश्मिरथी, उर्वशी, कुरुक्षेत्र, संस्कृति के चार अध्याय, परशुराम की प्रतीक्षा, हाहाकार, चक्रव्यूह, आत्मजयी, वाजश्रवा के बहाने आदि इनकी नायाब रचनाएं हैं। दिनकर को अपनी बेहतरीन रचनाओं के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण समेत कई अन्य सम्मानों से नवाज़ा गया।

    দ্বাৰা DB Live| 316 মতামত

DB Live

  • din bhar ki khabar | news of the day, hindi news india | Rahul Bharat jodo nyay yatra News | #dblive

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  • CAA पर Supreme Court का केंद्र से पूछे सख्त सवाल | Kapil Sibal | Justice Dy Chandrachud |#dblive

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  • EVM पर Supreme Court में हंगामा, विपक्ष को मिला वकीलों का साथ | Digvijaya Singh | Congress |#dblive

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Daily Mirror

  • Jummah की नमाज को लेकर Kashi में Police Alert, चप्पे- चप्पे पर Force तैनात

    Jummah की नमाज को लेकर Kashi में Police Alert, चप्पे- चप्पे पर Force तैनात

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  • Nitish Kumar की जगह Jitan Ram Manjhi को CM बनाएंगे BJP ! Mukesh Sahani | Bihar News | #dblive

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  • BJP MLA Ganpat Gaikwad ने Eknath Shinde Shiv Sena Leader Mahesh Gaikwad को थाने के अंदर मारी गोलियां

    BJP MLA Ganpat Gaikwad ने Eknath Shinde Shiv Sena Leader Mahesh Gaikwad को थाने के अंदर मारी गोलियां

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    गोलियों की तड़तड़ाहट... भागते... जान बचाते लोग.... बीजेपी नेता की आंखों में खून सवार... ये वीडियो कहीं और का नहीं बल्कि बीजेपी के नेतृत्व में बनी एकनाथ शिंदे सरकार के महाराष्ट्र राज्य का है... गोलियां मारने वाला कोई और नहीं बल्कि मौजूदा विधायक और बीजेपी का प्रतिष्ठित नेता है... सत्ता की हनक ऐसी कि थाने के अंदर गोलियां दाग रहा है...

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  • सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे हजारों लोग | Ladakh Protest: Leh | Statehood State की मांग | #dblive

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  • Dehradun Live | विधानसभा में बोले रहे सीएम पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड विधानसभा सत्र का आगाज

    Dehradun Live | विधानसभा में बोले रहे सीएम पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड विधानसभा सत्र का आगाज

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    Dehradun Live | विधानसभा में बोले रहे सीएम पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड विधानसभा सत्र का आगाज

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